पन्नियों का बढ़ता प्रकोप

खतौली


*ज़हर जो खाकर बेंचते हैं...............??*


*धडल्ले से हो रहा पॉलीथीन ईंधन का व्यापार*
*गुड कोल्हूओं में होती है पॉलीथीन ईंधन की सप्लाई*


*राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कडे कानून व प्रतिबंधों के कारण आम नागरिक के रोजगार प्रभावित हुए हैं। प्रदूषण फैलाने के नाम पर ईंट भट्टों का कार्य बन्द पडा है, जिससे भट्टा मजदूरों को आजीविका के लाले पड गये हैं। दूसरी ओर धडल्ले से पॉलीथीन व्यापारी  पॉलीथीन ईंधन की गुड कोल्हूओं में सप्लाई कर रहे हैं,पॉलीथिन के जलने से फैलने वाले खतरनाक धुंवे के कारण क्षेत्र में घातक बीमारियों के फैलने का खतरा उत्पन्न हो गया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से पॉलीथीन ईंधन पर रोक की गुहार लगाई है*
*मुज़फ्फरनगर जनपद के थाना भोपा क्षेत्र के ग्राम जौली में बेहडा सादात मार्ग पर व्यापारियों द्वारा पॉलीथीन के बडे बडे ढेर लगाए हुए हैं। जहां प्रतिदिन ट्रक व टैक्टर ट्रालियों द्वारा पॉलीथीन को भरकर गुड कोल्हूओं में सप्लाई किया जा रहा है। रूडकली, तेवडा, खोकनी, जटवाडा सहित क्षेत्र के अन्य गांवों में स्थित गुड कोल्हूओं में पॉलीथीन को धडल्ले से जलाया जा रहा है। पॉलीथीन व्यापारी ने बताया कि सूखी पॉलीथीन की कीमत 230 से 300 रूपये प्रति कुन्तल है। वहीं गुड कोल्हूओं के संचालकों ने बताया कि पॉलीथीन के ईंधन की आंच तेज होती है। पर्यावरण के नुकसान से अंजान इन व्यापारियों पर प्रशासन की कोई नकेल नहीं है। सडक किनारे लगे पॉलीथीन के बडे बडे ढेरों को देखकर भी प्रशासनिक अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि आबादी के बीच में स्थित गुड कोल्हूओं में देर शाम पॉलीथीन जलायी जा रही है, जिससे दूर तक दुर्गन्ध फैल जाती है तथा सांस लेने में दिक्कत आती है। बार बार शिकायत के बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।*